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Monday, June 24, 2013

मुश्किलें कितनी भी आयें ,तुम कभी डरना नहीं ,
चल दिए हो जब तुम आगे ,फिर कभी रुकना नहीं ।

बनकर रहना तुम सरल , जिस तरह पानी रहे ,
रुकावटें हों राहों में ,  लेकिन ठहर जाना नहीं ।

जो भी राहों में मिले , दीन -दुखिया देख ,लो
इंसानियत का रास्ता , तुम भूल जाना नहीं ।

दोस्त भी तुमको मिलेंगे, दुश्मन भी हैं बहुत ,
काँटों भरे रास्ते में , मंजिल कभी बिसराना नहीं ।

मंजिलों पर पहुँच कर भी , आगे बढ़ते जाना तुम ,
नई मंजिल लक्ष्य अपना ,थककर बैठ जाना नहीं ।

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