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Monday, June 24, 2013

karmo ka lekhaa yahan

कर्मो का लेखा यहाँ , करता अपना काम ,
वह तो सबको दे रहा , सबकुछ ही सामान ।

रुखी रोटी खाकर भी , निर्धन करे आराम ,
मखमल के गद्दों पर भी , करवट लें श्रीमान ।

धन दौलत के ढेर हैं ,पर रोटी नहीं नसीब ,
पैसे वाला रहे दुखी , और भूखा रहे गरीब ।

करवट लें श्रीमान , रात भर नींद ना आती ,
टूटी खटिया गरीबी की ,आज याद है आती ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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