Pages

Followers

Monday, June 17, 2013

yah alag baat hai

यह अलग बात है ......

"मेरे गाँव में इस बरस भी सूखा पडा ,"
यह बात मैंने अखबारों में पढ़ी ।
यह अलग बात है कि
इस बरसात में ही
फुलुवा की झोपड़ी बह गई ,
बिरजू की घर की दीवार ढह गई ,
जिसके नीचे दबकर ,
उसकी माँ मर गई ।
गाँव का एक मात्र प्राइमरी स्कूल
दस दिन से बंद है ,
बरसात से परेशान लोगों के लिए
वह ही तो आश्रय स्थल है ।

" कुछ अधिकारियों ने
सूखा ग्रस्त गाँव का दौर किया है "
यह खबर भी मैंने अखबारों में ही पढ़ी ।
यह अलग बात है कि
सारा गाँव पानी की वजह से
हर और से कटा है ।

"पानी की कमी से
धान की फसल सूख गई है ,
नईम खान की बेवा
भूख से मर गई है ,
ईलम हरिजन की भैंस भी
प्यासी ही चल बसी है ,
गाँव में भारी तबाही है ,
सूखे से किसानों की जान पर बन आई है ,
अधिकारियों ने सरकार से
सहायता की गुहार लगाई है ,"
यह खबर भी अखबारों में ही
प्रमुखता से आई है ।

यह अलग बात है कि
मेरे गाँव में
किसी नईम खान का घर नहीं है ,
इलम हरिजन के पास
भैंस तो क्या
रहने को छप्पर भी नहीं है ।

सरकार ने
अधिकारियों की रिपोर्ट पर चिंता जताई है ,
सहायता हेतु
भारी भरकम सामग्री जुटाई  है,
मुवावजा भी देना तय भरपूर है ,
चुनाव का मामला सामने हुजुर है ।

सूखे की समस्या से अवगत कराने के लिए
मंत्री जी का दौरा
निर्धारित किया गया है ,
ठहरने के लिये उनके
शहर में होटल किया गया है ।
मेरे गाँव के प्रधान से
पूरा ब्यौरा लिया गया है ,
रहत सामग्री का वितरण भी
मंत्री जी ने स्वयं किया है ,
अखबार में इस आशय का
मय फोटो समाचार छपा है ।

यह अलग बात है
प्रधान को बदले में फिर से
टिकट का आश्वासन दिया गया है ।

राहत सामग्री को बेच  दिया गया है ,
मंत्री जी के स्वागत में जश्न मनाया गया है ,
कल तक जो मुख्य अधिकारी
बदनाम हो गया था ,
मंत्री जी की सेवा कर
अभयदान हो गया है ,
यह खबर भी अखबार में ही आई है
मंत्री जी ने
उस अधिकारी की कर्त्तव्य निष्ठा की बात
पत्रकारों को सुनाई है ।

यह अलग बात है कि
अब अखबारों में
झूठी खबरों को पढ़ते -पढ़ते
मेरी आँखें
पथराने लगी हैं ,
मेरी जुबान को भी लकवा मार गया है ,
सारे देश को
भ्रष्टाचार का बुखार हो गया है ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन



No comments:

Post a Comment