कल ही तो मैंने पानी बचाया था ,
पलकों के भीतर उसे छुपाया था ।
मौत का सैलाब मेरे सामने गुजरा ,
सारा पानी बहकर बाहर आया था ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
पलकों के भीतर उसे छुपाया था ।
मौत का सैलाब मेरे सामने गुजरा ,
सारा पानी बहकर बाहर आया था ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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