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Thursday, July 4, 2013

teri jid ke aage

तेरी जिद के आगे मैं परेशां हूँ ,
तेरी चाहत की उड़ान ,मैं हैरां हूँ ।
तू चाहता है साहिल पे मकां ,
दरकती रेत की नीवं ,मैं परेशां हूँ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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