तेरी जिद के आगे मैं परेशां हूँ ,
तेरी चाहत की उड़ान ,मैं हैरां हूँ ।
तू चाहता है साहिल पे मकां ,
दरकती रेत की नीवं ,मैं परेशां हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
तेरी चाहत की उड़ान ,मैं हैरां हूँ ।
तू चाहता है साहिल पे मकां ,
दरकती रेत की नीवं ,मैं परेशां हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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