लिखा था कभी हाथ पे ,सिकंदर ने मुकद्दर ,
हो गया था गुरुर उसको , होने का कलंदर ।
मिट गया था अहम् ,एक फ़क़ीर की बात से ,
खाली हाथ ही गया था , दुनिया से सिकंदर ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
हो गया था गुरुर उसको , होने का कलंदर ।
मिट गया था अहम् ,एक फ़क़ीर की बात से ,
खाली हाथ ही गया था , दुनिया से सिकंदर ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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