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Wednesday, July 24, 2013

श्रवण-विकलांगता के कारण एवं उन्हें रोकने के उपायं

श्रवण-विकलांगता के कारण

जन्म के पहले

  • बाल्यावस्था में कर्ण बधिरता का परिवारिक इतिहास -पारिवारिक सदस्यों में बहरापन ।
  • निकट संबंधियों में विवाह - निकट-संबंधियों में वैवाहिक रिश्तो का होना जैसे कि चाचा-भतीजी, इत्यादि।
  • खून की बीमारियाँ या RH (आर एच) अपरिपूर्णता।
  • गर्भावस्था के दौरान संक्रामक बीमारियाँ या बीमारियाँ (जैसे कि सिफिलस, जर्मन मीजल्स या रूबेला बुखार के साथ मम्पस)
  • गर्भवती मां की खराब शारीरिक अवस्था।
  • गर्भवती द्वारा अत्यधिक सिगरेट या शराब का सेवन
  • ओटोटाक्सिक दवाइयों का सेवन (वे दवाइयाँ जो श्रवण-संस्थान को नुकसान पहुँचा सकती हैं, अगर अत्याधिक मात्रा में सेवन किया जाए जैसे कि जेन्टामारसिन, अमीकासिन, क्विनेन, प्रिपरेशन इत्यादि)
  • एक्स-रे का अत्यधिक प्रभाव

जन्म के दौरान

  • जन्म ते समय दमघुटी /श्र्वासावरोध (Asphyxia) (जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी के कारण शिशु का साँस लेने में कठिनाई महसूस करना जिससे कि शिशु नीला पड जाता हैं।)
  • जन्म के समय बच्चे का देर से रोना एवं कम रोना
  • जन्म के समय वजन 1200 ग्राम से कम होना

जन्म के बाद

  • परिपक्वता से पहले
  • कान, नाक, चेहरे एवं गले में विकृति का होना
  • जन्म के तुरत बाद पीलिया, तेज बुखार या मिर्गी का होन
  • संक्रामक बीमारियाँ (जैसे कि गोखर खाँसी, मम्पस्‌, मीजल्स, सिफिलस, मेंजानीटिस, वायरल फीवर, टी.बी. आदि)
  • लंबे समय तक अँटीबायोटिक दवाओं का सेवन (विशेषत: उन दवाओं का जो ओटोटाक्सिक के नाम से जानी जाती हैं।)
  • सिर या कान में चोट लगना (दुर्घटना के द्वारा)
  • लगातार तेज आवाज का सुनना उच्च रक्त दाब या मधुमेह
  • अधिक उम्र का होना
  • श्रवण-तंत्रिका में होनेवाली गाँठ
  • कान के मध्य भाग में सक्रंमण का होना, काम से मवाद बहना आदि

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