ता उम्र माँगता रहा माफ़ी उन गुस्ताखियों की ,
जो मैंने की ही नहीं और मुझ पर लगाती रही ।
यह इन्तिहाँ थी तेरी चाहत की ,गौर से देख ,
सारे इल्जाम सहकर भी हमने उफ़ तक ना की ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
जो मैंने की ही नहीं और मुझ पर लगाती रही ।
यह इन्तिहाँ थी तेरी चाहत की ,गौर से देख ,
सारे इल्जाम सहकर भी हमने उफ़ तक ना की ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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