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Tuesday, August 6, 2013

dushman ki aukaat

दुश्मन की औकात नहीं ,जो हमसे यूँ टकरा जाए ,
कोई भेदी घर का है , पहले उसको ढूंढा  जाए।

ख़ामोशी भी गद्दारी है , जब निर्णय लेने में देरी हो ,
सेना को अधिकार सौंप दो,कराची आज मिटाया जाये ।

सोच रहा जो आतंकवाद से , काश्मीर हथिया लेगा ,
टुकड़ों पर पलने वाले को, उसकी औकात बतायी जाए ।

पाकिस्तानी गद्दारों को  याद दिला दो , 71 के अफ़सानों  की ,
समय आ गया वीर सैनिकों , पकिस्तान मिटाया जाये ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8 2 6 5 8 2 1 8 0 0

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