मेरी कांपती अँगुलियों को तुम्हारा हाथ चाहिए ,
मेरे लरजते होठों को ,प्यार का स्पर्श चाहिए ।
अब नहीं जी सकते हैं हम तुम्हारे बिन ,
मेरी तन्हा जिंदगी को तुम्हारा संग चाहिए ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मेरे लरजते होठों को ,प्यार का स्पर्श चाहिए ।
अब नहीं जी सकते हैं हम तुम्हारे बिन ,
मेरी तन्हा जिंदगी को तुम्हारा संग चाहिए ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
No comments:
Post a Comment