मैंने जब भी तुम्हे देखा
मेरी आँखों ने तुम्हे चाहा ,
जब भी तुमने गीत गाया ,
मेरे खामोश लबों ने गुनगुनाया ।
देखा था तुम्हे सोते हुए मैंने ,
ख़्वाबों से प्यार सन्देश भिजवाया ।
एक बार सड़क पार करते देखा ,
मेरी धड़कनों ने तुम्हे पुकारा ।
तुम मगरूर थी तब अपने हुस्न
औ नादां जवानी के जोश में ,
देखती रही हुस्न के दीवानों को ,
चाहने वालों को तुमने देखा नहीं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मेरी आँखों ने तुम्हे चाहा ,
जब भी तुमने गीत गाया ,
मेरे खामोश लबों ने गुनगुनाया ।
देखा था तुम्हे सोते हुए मैंने ,
ख़्वाबों से प्यार सन्देश भिजवाया ।
एक बार सड़क पार करते देखा ,
मेरी धड़कनों ने तुम्हे पुकारा ।
तुम मगरूर थी तब अपने हुस्न
औ नादां जवानी के जोश में ,
देखती रही हुस्न के दीवानों को ,
चाहने वालों को तुमने देखा नहीं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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