जिन्दगी -----
आ सकूँ काम किसी के , टुकड़ों में बंटकर भी,
इससे बड़ी जिंदगी की नियामत , और कुछ नहीं ।
बख्स कर जिंदगी , अपनी दुवाओं से भर दिया ,
दौलत, शोहरत की चाहत , अब मुझे कुछ नहीं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
आ सकूँ काम किसी के , टुकड़ों में बंटकर भी,
इससे बड़ी जिंदगी की नियामत , और कुछ नहीं ।
बख्स कर जिंदगी , अपनी दुवाओं से भर दिया ,
दौलत, शोहरत की चाहत , अब मुझे कुछ नहीं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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