किसमे हिम्मत कर जाए जो हिंदी का अपमान ,
मेरी चाहत , मेरे सपने , दुनिया में पहचान ।
अगर कहीं कुछ डर लगता है तो अपने बच्चों से ,
हिंदी ही करती है जग में , संस्कृति का निर्माण ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
मेरी चाहत , मेरे सपने , दुनिया में पहचान ।
अगर कहीं कुछ डर लगता है तो अपने बच्चों से ,
हिंदी ही करती है जग में , संस्कृति का निर्माण ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
No comments:
Post a Comment