नेता तो अक्सर यहाँ , लगते दो मुहें सांप ,
कुछ डराते हैं प्रेम से ,कुछ दिखलाते आँख ।
जनता की गलती नहीं , कोई भी श्रीमान ,
अंधों में काने को सदा , सत्ता का वरदान ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
कुछ डराते हैं प्रेम से ,कुछ दिखलाते आँख ।
जनता की गलती नहीं , कोई भी श्रीमान ,
अंधों में काने को सदा , सत्ता का वरदान ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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