Pages

Followers

Sunday, September 8, 2013

neta to akasar yahaan

नेता तो अक्सर यहाँ , लगते  दो मुहें सांप ,
कुछ डराते हैं प्रेम से ,कुछ दिखलाते आँख ।
जनता की गलती नहीं , कोई भी श्रीमान ,
अंधों में काने को सदा , सत्ता का वरदान ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment