हर व्यक्ति का सदा , अलग अलग है रूप ,
जिसकी जैसी आस्था , वही दृश्य भवरूप ।
डाकू भी तो पूजनीय , इसी समाज में देख ,
दुःख में जो धीरज दे , वही भगवान का रूप ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
जिसकी जैसी आस्था , वही दृश्य भवरूप ।
डाकू भी तो पूजनीय , इसी समाज में देख ,
दुःख में जो धीरज दे , वही भगवान का रूप ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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