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Wednesday, October 9, 2013

bhautikataa ki daud me yah kyaa ho gayaa

भौतिकता की दौड़ में यह क्या हो गया ,
मेरा बचपन मुझ पर ही बोझ हो गया ।
माँ बाप व्यस्त हैं , दिखावे की होड़ में ,
शहर की चमक में ,मेरा गाँव खो गया ।
संस्कार खोने लगे आधुनिकता की होड़ में ,
रिश्तों के संसार का अब प्राणांत हो गया ।
शिक्षा का मतलब ,ज्ञान की भूख बढ़ाना था ,
अंग्रेजी का परचम ,भारी बस्ता रोग हो गया ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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