दे हौसला इतना मुझको मेरे मालिक , चिराग के मानिंद मैं ख़ुद जल जाऊँ
जलाकर वजूद अपना इस जहाँ मे , रोशन दुनिया को मुकम्मल कर जाऊँ।
मुझे गम नहीं की तुझे न पाऊं , मुझे खुशी होगी जो अंधेरों मे रोशनी लाऊं ,
तेरी राह मे आने वाला कोई भटकने न पाये , इसी चाहत मे जान लुटा जाऊं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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