नारी सौन्दर्य का पुरुष , करते नहीं अपमान ,
नारी खुद अर्द्धनग्न फिरें , क्या करें श्रीमान ।
भौतिक सुख की दौड़ में , दौड़ रहे सब लोग ,
मिथ्या भाषण,आचरण , नहीं सत्य का बोध ।
भौतिक सुख को जानिये , ज्यों जहरीले बोल ,
सच्चा सुख संतोष में ,यही धर्म सार अनमोल ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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