Pages

Followers

Tuesday, October 15, 2013

naa malum kaun so raha kabr me

ना मालूम कौन सो रहा कब्र में , जन्नत नशीं होकर ,
लोग कब्र में भी रूह को , हलकान किया करते हैं ।

भटकता रहा जो फ़क़ीर उम्र भर , रोटी की तलाश में ,
उसकी कब्र पर बैठे खादिम को , सामान दिया करते हैं ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment