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Wednesday, October 16, 2013

kurbani

ईद ऊल जुहा ( बकरीद ) के सही मायने हैं अपनी प्यारी चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान कर देना , इसके पीछे बहुत ही मुक़द्दस विचार है । मगर हमने इस पवित्र सन्देश को भी अपनी सुविधाओं और जरूरतों के हिसाब से बदल लिया है । आज हममे से कोई भी अपनी प्यारी चीज जैसे किसी भी प्रकार का नशा ,चोरी, भ्रष्टाचार ,किसी भी प्रकार का पाप कर्म ,निर्दोष पशु -पक्षियों की ह्त्या का विचार त्यागने का संकल्प लेने के लिए तैयार नहीं है । आओ आज हम सब संकल्प लें कि अपनी बस्ती में सब को शिक्षित बनाएं -नशा और पाप का त्याग करें ----

जानो कि खुदा बहुत बड़ा कारसाज़ है ,
लाठी है उसकी बेखौफ -बेआवाज़ है ।
बहाया है जितना खून ,तुमने बेजुबानों का ,
कुर्बानी के नाम पर क़त्ल किया मेमनों का ।
अल्लाह ने मांगी चीज प्यारी ,जाँ जिगर से ,
कर दो कुर्बान उसे , अल्लाह की डगर पे ।
काट कर तुमने , चंद भेड़ , बकरियां
अल्लाह के पैगाम को ,कुर्बानी बता दिया ।
इस्लाम में इंसानियत , सबसे कीमती ,
तालीम हर शख्स को , पैगाम भी यही ।
तालीम दां शख्स ,अल्लाह के पैगाम को माने ,
कुरआन के पैगाम का , वो अर्थ भी जाने ।
नहीं फतवों का सेहत पे कोई असर होता ,
इंसानियत रहे ज़िंदा , मकसद हुआ करता ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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