Pages

Followers

Tuesday, October 8, 2013

soch rahaa tha aaj kuchh nayaa likhunga

सोच रहा था आज कुछ नया लिखूंगा ,
कुछ सृजन करूंगा ,कुछ ख्वाब बुनूँगा ।
इसी चिंतन में शब्द सारे गडमड हो गए ,
कल सुबह फिर नए अक्षर -संवाद बुनूँगा ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment