सैनिक और संवेदना
अभी अभी मुझे यह पुस्तक प्राप्त हुई। दरअसल मैं घर पर नहीं था, घर पर ताला था, जैसे ही घर आया तो देखा दरवाजे के ऊपर सैनिक और संवेदना की प्रति लगी थी। मैं आश्चर्य चकित कि आज रविवार को पुस्तक कहाँ से आ गई? किताब को उठाया और देखा तो पाया कि यह किताब मेरे अनुज समान मित्र पवन धीमान कि प्रथम कृति है। मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। मैं जानता हूँ कि किसी कवि ,लेखक का सपना होता है कि उसकी रचनाएं पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित हों। दरअसल यह ऐसी ही अनुभूति है जैसीकि प्रथम संतान के उत्पन्न होने की होती है।
पुस्तक के विषय में तो मैं बाद में ही आप मित्रों से कुछ साझा करूंगा मगर आज आपको यह बताना चाहता हूँ कि भाई पवन धीमान पेशे से सी आई एस एफ में सैनिक, ह्रदय से कवि और मानवता से औतप्रोत व्यक्ति हैं। 1 फरवरी 1972 को जन्मे पवन धीमान की शिक्षा ज़िला सहारनपुर में हुई और आपने स्नातक की शिक्षा चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय, मेरठ से पूरी की। आप कविता, गजल व लघु कथाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। अनेक पत्र, पत्रिकाओं में उनकी उपस्थिति निरंतर देखने को मिलती है।
इसी पुस्तक से -----
लेकिन भला संवेदना से
सैनिक का क्या रिश्ता नाता है?
उसे तो सिर्फ
बन्दूक चलाना आता है।
सैनिक मुस्कराया।
उसने संवेदना को समझाया
कि बन्दूक के पीछे खड़ा सैनिक भी
इंसान होता है।
उसका दुःख -दर्द
मान-अपमान होता है।
वह जीवन -मृत्यु के
मिलन बिंदु से
अक्सर बहुत पास होता है।
अपने अनुज पवन को ढेरों शुभकामनाएं देता हूँ,
उनकी लेखनी निरंतर चलती रहे,
प्रतिदिन नए आयाम गढ़ती रहे।
मानवता की राह पर बढ़ते कदम,
बस लेखनी ही पहचान बनती रहे।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
विद्यालक्ष्मी निकेतन,
53 -महालक्ष्मी एन्क्लेव ,
मुज़फ्फरनगर-251001 (उत्तर-प्रदेश)
8265821800
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