Pages

Followers

Sunday, December 22, 2013

haaiku-saahitya par

कुछ हाइकु

हमारे शब्द
जग को महकायें
यही भावना।

बहती रहे
साहित्य की सरिता
क्षितिज तक।

शब्दों का मेल
आंदोलित कर दे
प्रेम भावना।

राष्ट्र के प्रति
अनुराग सिखाये
हमारा काव्य।

साहित्य होता
समाज का दर्पण
पढ़ें-पढ़ाएं।

जो लिखा गया
इतिहास बनाता
काल बताये।

सूर -तुलसी
साहित्य धरोहर
आप भी बनें।

प्रेम का सार
मानवता बनती
यही साधना।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment