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Wednesday, December 11, 2013

itihaas ki bhayankar bhool -sikandar ko vishv vijeta kahanaa

इतिहास की भयंकर भूल “सिकंदर को विश्व विजेता कहना “

325 ईसा पूर्व का समय ,सिकंदर विश्व विजेता बनाने की और अग्रसर होते हुए कंधार की पहाड़ियों को पार कर भारत की और बढ़ रहा था। परन्तु डोगरे वीरों ने सिकंदर और उसकी सेना को चन्द्रभागा क्षेत्र ( चिनाव ) से आगे नहीं बढ़ने दिया। इतिहासकार सतरेयो के अनुसार कीथी ओइ गणतंत्र ( डुग्गर प्रदेश) की फ़ौज ने पहाड़ की तलहटी में वासीलोई (वसौहली ) के निकट सिकंदर का सामना किया था। डोगरे सैनिकों ने सिकंदर के विरुद्ध “ शाक्त व्यूह रचना “ तैयार की थी। (उत्तरंम हिन्दू समाचार पत्र)

जब सिकंदर की सेना व्यास नदी के पूर्वी तट पर पहुंची तो डोगरा वीरों ने उसका रास्ता अपने तीरों से रोक दिया। वी डी महाजन द्वारा लिखित “ प्राचीन भारत “ के अनुसार सिकंदर की सेना 325 ईसा पूर्व ओक्टूबर माह में व्यास नदी से ही लौट गयी थी। इसी स्थान पर ही डोगरा सैनिकों ने सिकंदर के छक्के छुड़ाए थे। इसी युद्ध के दौरान चंद्रभागा क्षेत्र में डोगरा सैनिक द्वारा अपने जहरीले बाण से सिकंदर को घायल किया गया था , बाद में इसी घाव के चलते सिकंदर की मृत्यु भी हुई थी , इतिहास कार अनिल भारती ने अपने लेख “ चंद्रभागा क्षेत्र के युद्ध में सिकंदर की मृत्यु “ में इसका विस्तृत वर्णन किया है। इसीलिए इतिहास में चंद्रभागा नदी को “ सैंडरों फेगज “ नदी जिसे ग्रीक लेखकों ने सिकंदर को खा जाने वाली नदी कहा है।
इससे पूर्व जब यह तथा कथित विश्व विजेता राजा पोरस से हारा था तो विवश होकर उसे पोरस से संधि करनी पड़ी थी।
( सम्पूर्ण जानकारी “व्यथित जम्मू काश्मीर -लेखक श्री नरेन्द्र सहगल ) से साभार

यह तथ्य भी इतिहास के पन्नों में अमिट हैं जिन्हे हमारे पूर्व इतिहास कारों ने छुपाये रखा।

जब यूनानी आक्रमणकारी सेल्यूकस चन्द्रगुप्त मौर्य से हार गया और उसकी सेना बंदी बना ली गयी तब उसने अपनी खूबसूरत बेटी हेलेन के विवाह का प्रस्ताव चन्द्रगुप्त के पास भेजा . सेल्यूकस की सबसे छोटी बेटी थी हेलेन. बेहद खुबसूरत. उसका विवाह आचार्य चाणक्य ने प्रस्ताव मिलने पर सम्राट चन्द्रगुप्त से कराया, पर उन्होंने विवाह से पहले हेलेन और चन्द्रगुप्त पर कुछ शर्तें रखीं, जिन पर उन दोनों का विवाह हुआ.

पहली शर्त यह थी कि उन दोनों से उत्पन्न संतान उनके राज्य की उत्तराधिकारी नहीं होगी और इसके उन्होंने तीन कारण बताये-

1. हेलेन एक विदेशी महिला है, भारत के पूर्वजों से उसका कोई नाता नहीं है, भारतीय संस्कृति से हेलेन पूर्णतः अनभिज्ञ है.

2. हेलेन विदेशी शत्रुओं की बेटी है. उसकी निष्ठा कभी भारत के साथ नहीं हो सकती.

3. हेलेन का बेटा विदेशी माँ का पुत्र होने के नाते उसके प्रभाव से कभी मुक्त नहीं हो पायेगा और भारतीय माटी, भारतीय लोगों के प्रति पूर्ण निष्ठावान नहीं हो पायेगा.

एक और शर्त चाणक्य ने हेलेन के सामने रखी कि वह कभी भी चन्द्रगुप्त के राज्य कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी और राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों से पूर्णतया विरत रहेगी. परन्तु गृहस्थ जीवन में हेलेन का पूर्ण अधिकार होगा.

आचार्य चाणक्य की इसी दूरदर्शिता के कारण चन्द्रगुप्त का साम्राज्य अक्षुण्ण रहा.

भारत ही नहीं विश्व भर में चाणक्य जैसा कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ आज तक दूसरा कोई नहीं पैदा हुआ. फिर भी आज भारत उनके सबक को भूल गया और देश पर शासन कौन कर रहा है, यह सब आपके सामने है.
( विजय कुमार  सिंघल )

प्रेषक -
डॉ अ कीर्तिवर्धन

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