कभी कभी यूँ भी अच्छा लगता है -----
मेरा गुनगुनाना, मुस्कराना, जब से उन्हें खलने लगा,
बात बात पर टोकना, मुझको भी अब खलने लगा।
बात धीरे से करूँ तो मेरा बड़बड़ाना लगने लगा,
जोर से थोड़ी करी तो चिल्लाना उन्हें लगने लगा।
खामियां हर काम में, मेरी निकलने अब लगी,
पडोस की भाभी से बोलना, जब अच्छा हमें लगने लगा।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
बात धीरे से करूँ तो मेरा बड़बड़ाना लगने लगा,
ReplyDeleteजोर से थोड़ी करी तो चिल्लाना उन्हें लगने लगा।
धीरे-धीरे हौले हौले सब ठीक हो जाता है
बहुत बढ़िया