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Saturday, December 7, 2013

yah bedaag husn aur teri shokh nigaahen

यह बेदाग़ हुस्न और तेरी शोख निगाहें ,
यह लरजते होंठ जैसे मय से भरे प्याले
मैंने कभी किया ना था इस हुस्न का दीदार,
पागल कर देंगे हमें, नयन तेरे मतवाले ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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