जनमत का ढिंढोरा पिटती सरकार
पिछले दिनों प्रशांत भूषण के काश्मीर पर दिए गए विवादित बयान पर कुछ राष्ट्र भक्तों द्वारा “ आप “ के कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया था तथा प्रशांत भूषण की पत्रकार वार्ता में भी विरोध प्रकट किया गया था। भारत के वामपंथियों, कांग्रेसियों, तथा आप पार्टी के सभी भीष्म पितामहों द्वारा इसे अभिव्यक्ति कि स्वतंत्र्ता पर हमला भी बताया गया था। यह लोग वकालत कर रहे थे कि अपनी बात रखने का सभी को हक़ है। यानि देश के विरुद्ध बोलना भी इन्हे अभिव्यक्ति लगने लगा।
दोस्तों,देश में हो रहे विभिन्न घटनाक्रम पर गौर करें
१-जब दिल्ली में एक लड़की निर्भया के साथ बलात्कार होता है तो इन तनो ही दलों की प्रतिक्रया काफी देर में और संतुलित भाषा में आयी, यानि यह लोग खुल कर बोलने को तैयार नहीं थे। हाँ जब देश में वातावरण काफी गर्म हो गया तब शायद इनकी भी कुछ आँख खुली।
२-जब तरुण तेजपाल पर बलात्कार के आरोप लगे तो तथाकथित लोग उसके समर्थन में उतर आये और यही लोग उसे निर्दोष साबित करने में जुट गये।
३- पहले अरविन्द केजरीवाल सोनिए गांधी जी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के सदस्य थे और साथ में थे प्रशांत भूषण, स्वामी अग्निवेश, शान्ति भूषण जी, और अब सुनाने में आया है कि केजरीवाल की पत्नी को कहीं लिया गया है ,शायद इसी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् में।
४- आप पार्टी ने घोषणा की थी कि वह किसी का समर्थन नहीं लेगी, फिर जनमत कराया और बताया कि जनता चाहती है और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना ली।
५-जब मुख्यमंत्री तथा मंत्री बनाने की बात आयी तो जनमत नहीं किया गया और सरकार को बाँट लिया अपने आप ,आप ने यानि 28 लोगों से भी जनमत नहीं कराया।
६- पहले कहा कि हम मकान नहीं लेंगे, गाडी नहीं लेंगे, सुरक्षा नहीं लेंगे और अब सब कुछ जनता की मांग और जनमत पर शुरू।
७- अब बात प्रशांत भूषण की जिन पर पूर्व में नियम विरुद्ध जमीन आवंटन मामला भी उठा था, मेरा कहना है की प्रशांत भूषण ने काश्मीर के बारे में जो कुछ भी कहा ,वह गलत है या सही इस पर भी जनमत करा लिया जाए और यदि प्रशांत के विरुद्ध जनमत आये तो उन पर राष्ट्र द्रोह का मुकदमा चलाया जाये और उन्हें सरकार व आप पार्टी से बाहर निकाला जाये।
क्या साहस है अरविन्द केजरीवाल जी आपमें और आप पार्टी में ?
(इंटरनेट तथा अखबारों से प्राप्त समाचारों के आधार पर )
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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