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Saturday, January 4, 2014

tera sparsh mujhe romanchit kar gaya

तेरा स्पर्श मुझे रोमांचित कर गया
एक ही पल में मेरा जीवन बदल गया |

तेरी चाहत मेरे ख्वाबों में बस गई
मेरी साँसों पे कोई जादू सा कर गया |

जीने का कोई मकसद मेरे पास न था
अब मरने का कोई बहाना न रह गया|

तेरे तवस्सुर ने मुझे इस तरह तडफाया
सहर के सपने में भी दीदार नज़र आया |

सहर के ख्वाब ही तो जिया  करते हैं
सच्चाई के करीब हुआ करते हैं |

मैंने तुमसे हरदम चाहा दिल की बात कहूँ
तेरी आँखों के दर्पण में ,अपने ख्वाब पढूं |

कल तेरे स्पर्श ने मुझको जिला दिया
अपने ख्वाबों को गढ़ने का अवसर दिला दिया |

तेरी आँखों में मैंने यह दीदार किया है
तुने भी अपनी चाहत का इजहार  किया है |


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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