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Sunday, January 5, 2014

vo bahut khudgarj nikale---umra bhar saath

वो बहुत खुदगर्ज निकले जो कर रहे थे बातें
उम्र भर साथ निभाने की ,
मंजिल पर पहुँचे तो कहने लगे , मेहरबानी
कुछ लम्हे साथ बिताने की ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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