Pages

Followers

Thursday, February 13, 2014

ilm ke khalifaaye khaas

माना कि आप इल्म के खलीफाये ख़ास हैं,
वर्षों का तजुर्बा आपका, कीमती असआर हैं।
मगर हमको भी आओ, कमतर ना आंकिये,
हमारे पास भी इस दौर के, कुछ जज्बात हैं।
हो सकता है न उतरें खरे, आपकी कसौटी पर,
मिटटी के खिलौने सही, किसी बच्चे के ख़ास हैं।
आप ख्वाब सजाएँ चाँद पर जाने के मगर,
रेत के घरौन्दे मेरे दिल के आस-पास हैं।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment