खुद कुछ पाने की चाहत में, सूरज कहाँ उगता है,
बाँटना उसकी जिंदगी का ,मकसद हुआ करता है।
खुद की खातिर तो बस, पशु ही जीते देखे हमने ,
इंसान वही जो गैरों के लिए भी जिया करता है।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
बाँटना उसकी जिंदगी का ,मकसद हुआ करता है।
खुद की खातिर तो बस, पशु ही जीते देखे हमने ,
इंसान वही जो गैरों के लिए भी जिया करता है।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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