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Monday, February 17, 2014

muktak-dekha tha tere haath me khanjar ,nishane pe apana dil

देखा था तेरे हाथ में खंजर, निशाने पे अपना दिल,
ऐतबार भी था चलेगा खंजर, ऐ मेरे हसीं कातिल।
मरना तो मेरा तय था हर हाल में, तेरे ही हाथ से,
भरोसा मगर था , तू होगी जनाजे में मेरे शामिल।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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