Pages

Followers

Wednesday, February 19, 2014

purush ne nahi banaayaa stri ko vaasanaa

उन सभी महिलाओं  सादर समर्पित जो हर अपराध के लिए केवल पुरुषों को दोषी मानती हैं, पुरुषवादी , पितृ सत्ता का  आरोप लगाती हैं, भारतीय संस्कारों और संस्कृति का मजाक उड़ाती हुई बस अपनी उच्च श्रृंखलता को ही  हैं सर्वोपरि मानती हैं -----

पुरुष ने नहीं बनाया नारी को वासना,
पुरुष ने नहीं की,व्यभिचार की कामना।
नारी ने जग में स्वयं, खुद को परोसा,
उघाड़ा जिस्म अपना, दिया दावत का न्यौता।
कैसे कोई रखे नियंत्रण स्वयं पे ,
माटी के पुतले हैं,साधू नहीं मन के।
साधू का भी ईमान नारी ने डौलाया,
बनकर मेनका विश्वामित्र भरमाया।
आधुनिकता की भाषा नारी आज बनी है,
पैसा बना लक्ष्य, लज्जा ज़रा नहीं है।
बिन विवाह संग रहना,गौरवशाली कहती,
सौंदर्य की खातिर भ्रूण हत्या, परवाह ज़रा नहीं है।

No comments:

Post a Comment