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Sunday, March 9, 2014

chhoti si baat kaa yun afsaanaa naa banao

छोटी सी बात का यूँ अफ़साना ना बनाओ,
याद में बहते आँसुओं को दरिया ना बनाओ।

माना कि गम है बहुत, जुदाई का तुम्हे
तन्हाई को जीने का सहारा ना बनाओ।

सच है कि तेरे खतों का कोई जवाब ना आया,
किसी की बेबशी का यूँ मज़ाक ना बनाओ।

हमारी मजबूरियाँ, हमारी चाहत, दोराहे पर खड़े,
वफ़ा को बेवफा बताकर, तमाशा ना बनाओ।

रखें हैं तेरे ख़त सुरक्षित आज भी, छुपा कर मैंने,
ख़त बेचकर अमीर बनने का दोषी ना बनाओ।



डॉ अ कीर्तिवर्धन

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