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Saturday, April 12, 2014

patni ke sambandh me

चुनाव के दौर में कहीं तनाव, कहीं व्यंगबान तो कहीं चरित्र पर कीचड़ उछालने का खेल ---इस सबके बीच आपको तनाव से मुक्त रखने के लिए मने कुछ प्रयास किया है और यह सब बातें आप सबके आसपास भी काम या आदिक मात्रा में होती हैं ---

मेरे चाहे क्या हुआ, घर में बोलो कोय,
पत्नी घर की मालकिन, उससे सब कुछ होय।

मैंने चाहा खाने में हो लौकी का संधान,
पत्नी बोली आज तो मेरा व्रत अनुष्ठान।

थोड़े से आराम का ज्यों ही किया विचार,
पत्नी बोली तैयार हों चलना है बाज़ार।

आज मिला बोनस मुझे और किया विचार,
मैं भी सिलवा लूँ वस्त्र नए फैशन के चार।

पत्नी को अच्छा लगा सुनकर मेरी बात,
आकर यूँ कहने लगी लेना हमको हार।


डॉ अ कीर्तिवर्धन 

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