टूटे हुये सपने भी अहसास छोड़ जाते हैं,
आँख से बहते आँसूं निशाँ छोड़ जाते हैं।
अपनों की बेवफाई से कैसा शिकवा ,
स्वार्थी कोई भी हों, रंग बदल जाते हैं।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
आँख से बहते आँसूं निशाँ छोड़ जाते हैं।
अपनों की बेवफाई से कैसा शिकवा ,
स्वार्थी कोई भी हों, रंग बदल जाते हैं।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
No comments:
Post a Comment