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Sunday, April 20, 2014

muktak-dhalati huyi jindagi

ढलती हुयी जिंदगी को नया नाम दे दो,
बुढ़ापे को तजुर्बे से नयी पहचान दे दो।
कुछ हँस कर जीते हैं कुछ रो के मरते,
खुश रहो, जिंदगी को नया मुकाम दे दो।


डॉ अ कीर्तिवर्धन 

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