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Friday, April 18, 2014

muktak-saanch ko aanch nahi

साँच को आंच नहीं, शास्त्रों का सार,
झूठ को परवाज नहीं, जीत हो या हार। 
थूकोगे जो सूरज पर, मुँह पर ही गिरेगा,
गद्दारों पर  पड़ेगी, अब जनता की मार। 

डॉ अ कीर्तिवर्धन 

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