उम्र का यह दौर चौथा और आशिकी का जलजला,
जिसको बेटी कहता रहा, दिल उसपे आया मनचला।
बात संस्कृति की करे और आचरण है बेहाया,
बुढ़ापे में रंगरेलियां मनाता, लगता है वो दिलजला।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
जिसको बेटी कहता रहा, दिल उसपे आया मनचला।
बात संस्कृति की करे और आचरण है बेहाया,
बुढ़ापे में रंगरेलियां मनाता, लगता है वो दिलजला।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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