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Sunday, May 25, 2014

vo rishta bhi kya jisake darmiyaan faasalaa ho

वो रिश्ता भी क्या, जिसके दरम्यां फासला हो,
टूटेगा कभी न कभी, बीच में शक का दायरा हो। 
नहीं देखा मछुवारों को बस्ती छोड़ते, तूफां से पहले,
लहरों से इश्क़ करना ही, जिसका मुजाहिरा हो। 

डॉ अ कीर्तिवर्धन 

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