वो रिश्ता भी क्या, जिसके दरम्यां फासला हो,
टूटेगा कभी न कभी, बीच में शक का दायरा हो।
नहीं देखा मछुवारों को बस्ती छोड़ते, तूफां से पहले,
लहरों से इश्क़ करना ही, जिसका मुजाहिरा हो।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
टूटेगा कभी न कभी, बीच में शक का दायरा हो।
नहीं देखा मछुवारों को बस्ती छोड़ते, तूफां से पहले,
लहरों से इश्क़ करना ही, जिसका मुजाहिरा हो।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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