जिन लोगों को अपनी जाति- धर्म और संस्कृति का ज्ञान नहीं होता,
जिन लोगों को अपने मात- पिता की पहचान का भी भान नहीं होता,
करते हैं अनर्गल प्रलाप, कोसते हैं देश, धर्म और संस्कार की बातों को,
चंद टुकड़ों के लिए बेचते हैं ईमान, ऐसे लोगों में स्वाभिमान नहीं होता।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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