देह यात्रा ---
वह करता है अक्सर
देह से देह तक की यात्रा
बिना उसकी मर्जी के
और शायद बलात्कार भी
उसकी आत्मा का,
जिसे समझता है वह
अपना संविधानिक अधिकार
पति होने के कारण |
और वह भी
शायद यही समझती है
कि उसका दायित्व है
पति को खुश रखना |
अपने अधिकार को भुलाकर,
दायित्व कि धूरी पर
नाचते रहना ही
शायद
उसकी नियति है |
इसीलिए वह सहती है
हर दुःख,दर्द और अपमान
बिना उफ़ किये
हंसते-हंसते एक थोथी मुस्कान |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
वह करता है अक्सर
देह से देह तक की यात्रा
बिना उसकी मर्जी के
और शायद बलात्कार भी
उसकी आत्मा का,
जिसे समझता है वह
अपना संविधानिक अधिकार
पति होने के कारण |
और वह भी
शायद यही समझती है
कि उसका दायित्व है
पति को खुश रखना |
अपने अधिकार को भुलाकर,
दायित्व कि धूरी पर
नाचते रहना ही
शायद
उसकी नियति है |
इसीलिए वह सहती है
हर दुःख,दर्द और अपमान
बिना उफ़ किये
हंसते-हंसते एक थोथी मुस्कान |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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