Pages

Followers

Thursday, July 17, 2014

muktak-darmyaane safar e jindagi

दरम्यान ए सफर जिंदगी, मुश्किलें बहुत आती हैं,
रंजिशें, प्यार, वफ़ा, मेरी सीढ़ियाँ बन जाती हैं।
गर्दिश के दिन, हौसले का इम्तिहान लेते हैं,
बाधाएं राहों में, मुझे नयी राह बता जाती हैं।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment