गाय
कल फेस बुक पर कुछ मुस्लिम युवकों ने गाय को माता कहने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि फिर तो बैल हम हिन्दुओं का पिता हो गया।
मित्रों, आप सब जानते हैं कि पिता का दायित्व संतान का पालन पोषण है। कालांतर में बैल द्वारा खेती की जाती थी और अन्न उपजाया जाता था। बैल प्रत्येक किसान की धरोहर होते थे और आज भी जहाँ आधुनिक साधन नहीं हैं बैल ही खेती में सहायक हैं और इस नाते वह सम्पूर्ण मानव जाति के बाप भी हैं।
दूसरी बात जो गाय को माता बनाती है वह है गाय का दूध जिसकी तासीर माँ के दूध जैसी होती है। जिसको पीकर मस्तिष्क बलवान बनता है जिससे स्मरण शक्ति मजबूत होती है। यह वैज्ञानिक शोध द्वारा भी साबित हो चुका है। गाय के गोबर एवं मूत्र भी ऐसे बैक्टीरिया पाये जाते हैं जो मनुष्य होते हैं। इसीलिए गौ मूत्र से अनेक औषधियां बनायी जाती हैं। गाय के अलावा सृष्टि में ऐसा कोई पशु नहीं है जिसका मूत्र दवा के काम आता हो। गाय के गोबर से जिस स्थान पर लिपाई की जाती हैं वहां पर कीटाणु पैदा नहीं होते।
मुस्लिमों की पवित्र पुस्तक कुरआन के किसी भी सूरा में कहीं भी गाय मारने का वर्णन नहीं है अपितु अल्लाह के हवाले से आदम को बताया गया है -”तुम और तुम्हारी पत्नी जब स्वर्ग में थे उस समय हमने तुम्हे फल खाने के लिए दिए थे और जहाँ भी रहोगे वहां भी तुम्हे फल खाने के लिए देंगे। “(2 . 35 )
हजरत मोहम्मद पैगम्बर साहब के प्रतिदिन के भोजन में रोटी, दूध और खजूर का समावेश होता था।
प्रसिद्द ईरानी विद्वान अलग़ज़ाली, जिसे इस्लाम का दार्शनिक भी कहा जाता है, का कहना है कि रोटी के अलावा जो भी हम खाते हैं वह अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए खाते हैं। अपनी प्रसिद्द पुस्तक “अहयाउल दीन (रिवाइवल ऑफ़ रिलीजियस साइंस )जिसे बहुत पवित्र पुस्तक माना जाता है, के दूसरे भाग के पृष्ठ 23 पर 17 से 23 वीं लाइन में लिखते हैं -गाय का मांस मर्ज (बीमारी), दूध “सफा” शिफ़ा,यानी स्वस्थ्य के लिए लाभकारी तथा घी “दवा” है।
भारत के मुसलमान अगर सऊदी अरब के सिद्धांतों को मान लें तो पता चलेगा कि वहाँ गाय का क्या महत्त्व है ? अगर किसी को ज़रा भी जानने की इच्छा हो तो वह सऊदी अल शफ़ीअ फ़ार्म की जानकारी प्राप्त करे। जानते हैं अल शफ़ीअ का मतलब, तो समझ लें इसका मतलब होता है मेहरबान।
एक बात और भी बताते चलें की इस फ़ार्म में 36000 गाय हैं जो बहुत अधिक भारतीय नस्ल की हैं। इन गाय का 400 लीटर दूध प्रतिदिन रियाद के शाही खानदान में जाता है।
मरने पर भी गाय को काटा नहीं जाता बल्कि दफन किया जाता है। बूढी, बेकार गाय व बच्चे अलग फ़ार्म में रखे जाते हैं। इनकी देखभाल के लिए 1400 आदमी नियमित काम करते हैं। गाय को गर्मी से बचाने के लिए स्वचालित परदे शेड में लगाए गए हैं। यह फ़ार्म रियाद से 100 किलोमीटर पर है। ऐसे अनेक छोटे बड़े फार्म सऊदी अरब में संचालित हैं।
एक बात और उन नासमझ लोगों के लिए जो हिन्दू दृष्टिकोण का मजाक उड़ाते हैं यह की हिन्दू धर्म की प्रत्येक बात वैज्ञानिक तौर पर जाँची परखी है। गाय एक ऐसा पशु है जो पानी के अंदर बैठता नहीं है और भैंस पानी में जाकर निकालना नहीं चाहती है। इसीलिए गाय को वैतरणी पार कराने वाली बताया गया है तथा यमराज यानि मृत्यु के देवता का वाहन भैंसा बताया गया है। इसका मतलब साफ़ है यदि आप कहीं पानी में फँस जाएँ तो कभी भैंस की पूंछ पकड़कर निकलने की कोशिश मत करना बल्कि गाय की पूँछ पकड़ लेना, जान बच जायेगी।
समझ आ गयी ना हम गाय को माता क्यों कहते हैं ?
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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