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Saturday, September 27, 2014

maatra sambandhi niyam

मात्रा सम्बन्धी नियम ,,,मात्राभार के नियमः-- (1) ह्रस्व स्वरों की मात्रा...1 होती है जिसे लघु कहते हैं , जैसे - अ, इ, उ, ऋ, (2) दीर्घ स्वरों की मात्रा...२ होती है जिसे गुरु कहते हैं,जैसे-आ, ई, ऊ, ,ऐ,ओ,औ (3) व्यंजनों की मात्रा ...1 होती है , जैसे -क,ख,ग,घ / च,छ,ज,झ,ञ / ट,ठ,ड,ढ,ण / त,थ,द,ध,न / प,फ,ब,भ,म /य,र,ल,व,श,ष,स,ह (4) व्यंजन में ह्रस्व इ , उ की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार 1... ही रहती हैजैसे- किसान यानि कि (1)सा(2)न(1) या फिर पुकार--- पु (1)का (2)र (1) (5) व्यंजन में दीर्घ स्वर आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार... 2 हो जाता हैजैसे--नाम यानि ना (2)म(1), आई--आ (2) ई(2), पूछते--पू (2) छ(1)ते (2) कौआ--कौ (2) आ(2) (6) किसी भी वर्ण में अनुनासिक लगने से मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,जैसे - रँग=११ , चाँद=२१ , माँ=२ , आँगन=२११, गाँव=२१ (7) लघु वर्ण के ऊपर अनुस्वार लगने से उसका मात्राभार २ हो जाता है , जैसे -- रंग=२१, अंक=२१ , कंचन=२११ ,घंटा=२२ , पतंगा=१२२ (8) गुरु वर्ण पर अनुस्वार लगने से उसके मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,जैसे - नहीं=१२ , भींच=२१ , छींक=२१ , कुछ विद्वान इसे अनुनासिक मानते हैं लेकिन मात्राभार यही मानते हैं, (9) संयुक्ताक्षर का मात्राभार १ (लघु) होता है , जैसे - स्वर=११ , प्रभा=१२ श्रम=११ , च्यवन=१११ (10) संयुक्ताक्षर में ह्रस्व मात्रा लगने से उसका मात्राभार १ (लघु) ही रहता है ,जैसे - प्रिया=१२ , क्रिया=१२ , द्रुम=११ ,च्युत=११, श्रुति=११ (11) संयुक्ताक्षर में दीर्घ मात्रा लगने से उसका मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,जैसे - भ्राता=२२ , श्याम=२१ , स्नेह=२१ ,स्त्री=२ , स्थान=२१ , (12) संयुक्ताक्षर से पहले वाले लघु वर्ण का मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,जैसे - नम्र=२१ , सत्य=२१ , विख्यात=२२१ (12) संयुक्ताक्षर के पहले वाले गुरु वर्ण के मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,जैसे - हास्य=२१ , आत्मा=२२ , सौम्या=२२ , शाश्वत=२११ , भास्कर=२११-------

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