मांझी है मझधार में, बीच भँवर बिहार,
जीतन जतन लगा रहे, हो कैसे नैया पार।
हो कैसे नैया पार, समझ नहीं कुछ भी आता,
कुर्सी छीन जाने का डर, दिन-रात सताता।
लालू जी भी कर रहे, हैं अवसर का इन्तज़ार,
राबड़ी फिर सी एम बने, हो जाये बड़ा पार।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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