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Monday, October 6, 2014

majhi hai majhdhaar me, bich hnawar bihaar

मांझी है मझधार में, बीच भँवर बिहार,
जीतन जतन लगा रहे, हो कैसे नैया पार।
हो कैसे नैया पार, समझ नहीं कुछ भी आता,
कुर्सी छीन जाने का डर, दिन-रात सताता।
लालू जी भी कर रहे, हैं अवसर का इन्तज़ार,
राबड़ी फिर सी एम बने, हो जाये बड़ा पार।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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