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Tuesday, October 28, 2014

najaron ke saamane hain

नज़रों के सामने हैं वो, मगर दूर बहुत हैं,
नाम लेने से रुसवाई होगी, मजबूर बहुत हैं।  

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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