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Saturday, October 4, 2014

tadafate dil ko koi mukaam de do

तड़फते दिल को कोई मुकाम दे दो,
अधूरी ख्वाहिशों को नए आयाम दे दो।
यूँ तो जीते हैं लोग खुद की खातिर यहां,
गैरों की खातिर जीने का पैगाम दे दो।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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