लव -किस धमाल
आज अनोखा हाल देखा, दिल्ली में कमाल देखा,
मात-पिता को शर्मिन्दा हो, रोते हुए बेहाल देखा।
भटक रही थी युवा पीढ़ी, लव-किस में डूबी जाती,
लड़का-लड़का, लड़की-लड़का, प्यार बिना सुर-ताल देखा।
घर की बातें सडकों पर, निर्लज्जता का व्यवहार करते,
शर्मो-हया व संस्कारों पर, लगते हुए सवाल देखा।
वाम पंथ के बने समर्थक, पश्छिम के बन अनुयायी,
संस्कृति का चीर हरण कर, करते हुए धमाल देखा।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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