कुछ युवा मचा रहे, हैं लव-किस का शोर,
बैड रूम की बात का, सड़क पर करें ढिंढोर।
सड़क पर करें ढिंढोर, लगता ओछे घर से आये,
जिनके घर में संस्कारों के, बीज नहीं जम पाये।
कहे कीर्ति कविराय, बचाओ संस्कृति पुष्प गुच्छ,
लगा रहे जिसमे पलीता, भटके हुए युवा कुछ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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